देश में कोविड-19 महामारी की स्थिति को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की ओर से मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। यहां स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने बताया कि भारत उन देशों में है जहां प्रति 10 लाख की आबादी कोरोना के मामलों की संख्या सबसे कम है। उन्होंने बताया कि भारत में प्रति 10 लाख की आबादी पर कोरोना के मामलों की संख्या 7178 है, वहीं इसका वैश्विक औसत 9000 है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभाव की घटनाएं सामने आ सकती हैं, जिसके लिए राज्यों को तैयारी करनी चाहिए।
The number of cases per million population in India continues to be amongst the lowest in the world. The number of cases in India is 7178 per million population, the global average is 9000: Rajesh Bhushan, Secretary, Ministry of Health and Family Welfare#COVID19 pic.twitter.com/0I92LC1fTH
— ANI (@ANI) December 15, 2020
बता दें कि स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बताया गया कि देश में कोविड-19 के 15.55 करोड़ से अधिक नमूनों की अब तक जांच की गई है। देश में संक्रमण दर गिरकर 6.37 फीसदी हो गई है। उन्होंने कहा कि भारत में वर्तमान में कोविड-19 के कारण मृत्यु दर 1.45 फीसदी है, जो दुनिया में सबसे कम है। प्रेस वार्ता में मौजूद नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने दिल्ली में कोरोना संक्रमण की स्थिति पर संतुष्टि जताई। उन्होंने कहा, ‘हम यह देख कर खुश हैं कि दिल्ली में स्थिति बेहतर हुई है। हम दिल्ली सरकार और अन्य सरकारों का बधाई देते हैं जिन्होंने हाल के समय में संक्रमण को रोकने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।’
देश की एक और वैक्सीन को मिली क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति
डॉ. पॉल ने कहा कि इस सप्ताह ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने भारत की एक और संभावित वैक्सीन के लिए क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति प्रदान की है। उन्होंने बताया कि यह वैक्सीन जेनोआ (Genoa) कंपनी ने भारत सरकार की रिसर्च एजेंसी डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की मदद से तैयार की है। उन्होंने बताया कि इस वैक्सीन के निर्माण में उसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जो फाइजर की वैक्सीन में है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्य ऐसे हैं जिन्हें लेकर अभी भी हमें चिंता है। हम उत्तराखंड, नगालैंड और हिमाचल प्रदेश की सरकार और जनता से अनुरोध करते हैं कि स्थिति को काबू में लाने के लिए हर संभव प्रयास करें। उन्होंने बताया कि इस समय देश में छह वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल के विभिन्न चरणों में हैं।
टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभावों की संभावना से इनकार नहीं
टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभावों का या घटनाओं के सामने आने के विषय पर राजेश भूषण ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। जब हम एक सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम करते हैं, जो दशकों से किया जा रहा है, तो टीकाकरण के बाद बच्चों और गर्भवती महिलाओं में कुछ प्रतिकूल प्रभाव देखे गए हैं। जब हम कोविड-19 टीकाकरण शुरू करते हैं, तो हम एक प्रतिकूल घटना की संभावना से इनकार नहीं कर सकते। जिन देशों में टीकाकरण पहले ही शुरू हो चुका है, विशेष रूप से ब्रिटेन में, पहले दिन प्रतिकूल घटनाएं हुईं। इसलिए, यह आवश्यक है कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इसके लिए भी तैयारी करें।
राज्यों के पास पहुंच चुके हैं टीकाकरण से संबंधित सभी उपकरण
देश में कोरोना वायरस की वैक्सीन के प्रबंधन को लेकर राजेश भूषण ने बताया कि इसे लेकर तैयारियां लगातार की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि टीकाकरण के काम के लिए 29 हजार कोल्ड चेन प्वाइंट, 240 वॉक-इन कूलर, 70 वॉक-इन फ्रीजर, 45 हजार आइस-लाइन्ड रेफ्रिजरेटर, 41 हजार डीप फ्रीजर और 300 सोलर रेफ्रिजरेटर का इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ये सभी उपकरण पहले ही राज्य सरकारों के पास पहुंच चुके हैं।
किसान आंदोलन: कोरोना दिशा-निर्देशों का पालन करना जरूरी
राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली की सीमाओं पर नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के जुटने पर डॉ. पॉल ने कहा कि हमें सावधानी बरतनी चाहिए। इस संबंध में सरकार की ओर से किसानों को संदेश भेजा जा चुका है, लेकिन यह जरूरी है कि हम कोविड-19 को लेकर जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते रहें। बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पूरे देश के किसान लामबंद हैं और दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क जैसे नियमों की धज्जियां उड़ गई हैं। किसान मांग कर रहे हैं कि ये कानून वापस लिए जाएं।